Health Update : सर्दियों में हार्ट अटैक रोकने के लिए सुबह पानी कम पिएं और वॉक करने से बचें; नमक कम लें

 पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ साइंस जर्नल में पब्लिश एक रिसर्च रिपोर्ट कहती है, जिन्हें पहले से हार्ट डिसीज है, सर्दी में उनमें हार्ट अटैक का खतरा 31 फीसदी तक बढ़ जाता है। आखिर ठंड में हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मामले क्यों बढ़ते हैं और कैसे इनका खतरा कम किया जा सकता है, बता रहे हैं सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुब्रतो मंडल...

ठंड में खतरा क्यों बढ़ता है, पहले इसे समझिए

सोते समय शरीर की एक्टिविटीज स्लो हो जाती हैं। बीपी और शुगर का लेवल भी कम होता है। लेकिन उठने से पहले ही शरीर का ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम उसे सामान्य स्तर पर लाने का काम करता है। यह सिस्टम हर मौसम में काम करता है। लेकिन ठंड के दिनों में इसके लिए दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इससे जिन्हें हार्ट की बीमारी है, उनमें हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

...क्योंकि नसें ज्यादा सिकुड़ जाती हैं

ठंड के मौसम में नसें ज्यादा सिकुड़ती हैं और सख्त बन जाती हैं। इससे नसों को गर्म और एक्टिव करने के लिए ब्लड का फ्लो बढ़ जाता है जिससे ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है। ब्लड प्रेशर बढ़ने से हार्ट अटैक होने का खतरा भी बढ़ जाता है।

ऐसे में जिन्हें पहले से ही दिल की बीमारी है या जिन्हें पहले भी हार्ट अटैक हो चुका है, उनके लिए ज्यादा ठंड जानलेवा हो जाती है।

अगर आपको दिल की बीमारी है तो ये तीन बातें ध्यान रखें

1. ज्यादा पानी न पिएं

दिल का एक काम शरीर में मौजूद रक्त के साथ लिक्विड को पम्प करने का भी होता है। जिन्हें दिल की बीमारी होती है, उनके दिल को वैसे भी पम्प करने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। ऐसे में अगर आप बहुत ज्यादा पानी पी लेंगे तो हार्ट को पम्पिंग में और भी मेहनत करनी पड़ेगी और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाएगा।

पानी कितना पिएं, इसके लिए अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। कई लोग सुबह उठकर दो-तीन गिलास पानी पीते हैं। हार्ट के मरीज हैं तो किसी भी मौसम में ऐसा न करें, ठंड के मौसम में तो बिल्कुल भी नहीं।

2. नमक कम से कम खाएं

दिल के मरीजों को अपने खाने में नमक की मात्रा कम से कम लेनी चाहिए, केवल इस वजह से ही नहीं कि यह ब्लड प्रेशर की समस्या को बढ़ा देगा, बल्कि इसे ध्यान में रखें कि नमक शरीर में पानी को रोकता है। पानी को रोकने का मतलब यही होगा कि शरीर में दिल को ज्यादा मात्रा में लिक्विड को पम्प करना होगा। यानी ज्यादा मेहनत करनी होगी। नतीजा हार्ट अटैक के रूप में आ सकता है।

3. न सुबह जल्दी उठें और न जल्दी सैर पर जाएं

जिन लोगों को पहले भी हार्ट अटैक आ चुका है या जिनके दिल पर ज्यादा खतरा है, वे ठंड के दिनों में न तो बिस्तर जल्दी छोड़ें और न ही जल्दी सैर पर जाएं। ठंड की वजह से नसें पहले से ही सिकुड़ी हुई होंगी और जब ठंडे वातावरण के संपर्क में आएंगे तो बाहर की अधिक सर्दी की वजह से शरीर को अपने आप को गर्म बनाए रखने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। इससे दिल को ज्यादा काम करना पड़ेगा।

3 रिसर्च बताती हैं कि कोरोना के निशाने पर हार्ट भी है

हृदय रोगी पहले से कोरोना के रिस्क जोन में हैं लेकिन रिकवरी के बाद भी इसका असर हार्ट पर बरकरार रहता है। ऐसे समझें...

  • वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट कहती है, कोरोना से रिकवर हो चुके मरीजों के हार्ट पर गहरा असर पड़ा है। संक्रमण के इलाज के बाद इनमें सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द जैसे लक्षण दिख रहे हैं। हार्ट के काम करने की क्षमता पर बुरा असर पड़ रहा है। जो लम्बे समय तक दिखेगा।
  • अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, कोरोना से रिकवर होने वाले 100 में से 78 मरीजों के हार्ट डैमेज हुए और दिल में सूजन दिखी। रिसर्च कहती है, जितना ज्यादा संक्रमण बढ़ेगा भविष्य में उतने ज्यादा बुरे साइड-इफेक्ट का खतरा बढ़ेगा।
  • ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी की रिसर्च के मुताबिक, कोरोना से रिकवर होने वाला हर 7 में से 1 इंसान हार्ट डैमेज से जूझ रहा है। यह सीधेतौर पर उनकी फिटनेस पर असर डाल रहा है।

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